शिक्षक भर्ती मामले का तीन माह में निपटारा करे सरकार : हाईकोर्ट
प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शेष बचे पदों पर भर्ती के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन माह में प्रकरण का निस्तारण करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को इसके लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने यह आदेश उपमा चौधरी व अन्य की तरफ से दायर याचिका पर दिया।
याचियों के अधिवक्ता अरविंद कुमार ने अदालत में दलील दी कि वर्ष 2011 की 72,825 पदों पर प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में 66,625 पदों पर ही भर्ती हो सकी है। भर्ती प्रक्रिया के लिए 6,170 पद शेष हैं, जिनमें 3400 पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थियों का चयन किया जाना है। सर्वोच्च अदालत राज्य सरकार को इन बचे हुए पदों पर भर्ती के लिए अनुमति दे चुकी है। इसके बाद भी इन पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है।
याची समेत 19 लोगों ने राज्य सरकार को अनुसूचित जाति-जनजाति के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया संपन्न किए जाने को जरूरी कार्यवाही के लिए प्रत्यावेदन दिया था। इसके बाद भी कोई कार्यवाही न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। अदालत ने पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को याचियों के प्रत्यावेदन पर नियम-कानून के तहत तीन माह में कार्यवाही कर प्रकरण का निस्तारण करने का आदेश दिया है।
निर्णय के इंतजार में अटकी 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती
बता दें, विभाग ने 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा होने के बाद सहायक अध्यापक भर्ती के लिए कटऑफ निर्धारित किया था। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ अंक 65 फीसदी और एससी, एसटी व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी तय किया गया था। इसके बाद शिक्षामित्रों समेत अन्य अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा के बाद कटऑफ और अधिक कटऑफ निर्धारित करने को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की एकल पीठ ने करीब दो महीने की सुनवाई के बाद 29 मार्च को सामान्य वर्ग के लिए 45 फीसदी और एससी, एसटी व ओबीसी के लिए 40 फीसदी कटऑफ निर्धारित करने का आदेश दिया। साथ ही इसमें अपील के लिए एक माह का वक्त भी दिया।
तत्कालीन विभागीय अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने का प्रस्ताव रखा। पर, वह एक माह में यह निर्णय नहीं करा सके कि अपील की जाए या नहीं। इधर, 30 अप्रैल को कुमार सेवानिवृत्त हो गए और रेणुका कुमार को विभागीय अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई। अब तक एकलपीठ के निर्णय के 40 दिन हो चुके हैं, लेकिन विभाग ने न तो उसका फैसला ही माना और न ही अपील करने पर निर्णय ले पाया है।
जबकि योगी सरकार ने मार्च से पहले शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति आदेश जारी करने की योजना बनाई थी। जिससे इसका लाभ सत्तारुढ़ दल को लोकसभा चुनाव में मिल सके। मगर, प्रदेश में पांच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है, पर लिखित परीक्षा का परिणाम तक जारी नहीं हो पाया है।
मुझे कामकाज संभाले अभी 4-5 दिन ही हुए हैं। सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में अपील करने का प्रस्ताव दिया गया है। अधिकारियों से बात कर जल्द ही निर्णय करूंगी। -रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा