सोनभद्र की घटना ने किया प्रदेश सरकार की लचर कानून व्यवस्था का खुलासा : एम सलाहुद्दीन
सीतापुर (ब्यूरो) सोनभद्र नरसंहार के दोषियों पर रासुका लगाने, समूचे प्रकरण की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायधीश से कराने, घटना में सहयोगी और उसके लिये जिम्मेदार सभी पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को निलंबित कर दंडित किये जाने, घटना में हर म्रतक के परिवारी को रुपये 50 लाख प्रति म्रतक मुआबजा दिये जाने, प्रत्येक घायल को रुपये 5 लाख सहयोग के तौर पर दिये जाने, वर्षों से जोत- बो रहे आदिवासियों को ज़मीनों पर कब्जा और स्वामित्व दिये जाने, आदिवासी अधिनियम को लागू किये जाने, पुराने सीलिंग कानून को पुनर्जीवित कर प्रदेश भर में माफियाओं के कब्जे वाली ज़मीनों को भूमिहीनों में वितरित किये जाने और उत्तर प्रदेश में भूमि आयोग गठित किये जाने की मांग को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया|
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला कौंसिल सीतापुर ने प्रदेशीय आवाहन पर विकास भवन के सामने स्थित धरना स्थल पर धरना दिया और जिला सोनभद्र में भू माफियाओं द्वारा किसानों की सामूहिक हत्या का विरोध किया। इसकी कडे शब्दों मे निंदा करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला कौंसिल सीतापुर के जिला संयोजक एम सलाहुद्दीन ने कहा कि सोनभद्र की घटना ने प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था का खुलासा कर दिया है और बता दिया है कि प्रदेश में गुंडाराज कायम है। दबंग गरीब और भूमिहीन दलित आदिवासियों का कत्लेआम करने में लगे हैं। हरिराम अरोरा ने कहा कि प्रदेश सरकार इस घटना की जिम्मेदारी लेने के बजाय इतिहास में की गई गलतियों को इसका जिम्मेदार ठहरा रही है। यहां तक कि सरकार को यह भी मंजूर नहीं कि किसी राजनीतिक दल का नेता सोनभद्र की घटना का जायजा लेने और पीड़ितों के समर्थन में वहां जाये। ऐसा करने पर उसे यह सरकार न केवल रोक रही है बल्कि गिरफ्तारियां भी कर रही है।
सभा में उपस्थित वरिष्ठ कम्युनिस्ट विचारक केजी त्रिवेदी ने कहा कि कानून व्यवस्था को सुधारने के बजाय राजनीतिक दलों को इस हिंसक घटना के लिए दोषी ठहरा कर प्रदेश सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच रही है।
जिलाधिकारी द्वारा महामहिम राज्यपाल को प्रेषित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट आर०डी० राम को सौंपा गया जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला कौंसिल सीतापुर ने मांग करी कि-
1. समूचे प्रकरण की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराई जाए|
2. घटना में दोषी सभी पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को निलंबित कर दण्डित किया जाये|
3. मृतक किसानों के परिवारों को 50 - 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और घायलों को 5 - 5 लाख रूपये मुआवजा दिया जाए।
4. आदिवासी अधिनियम लागू किया जाये जिसके तहत जल जंगल की ज़मीन को वर्षों से जोत-बो रहे आदिवासियों को जमीन पर कब्ज़ा और स्वामित्व दिया जाये|।
5. सभी हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए और नरसंहार के दोषियों और उसके संरक्षकों पर रासुका के तहत कार्यवाही की जाये|
6. पुराने सीलिंग कानून को पुनर्जीवित कर प्रदेश भर में भू-माफियाओं के कब्ज़े वाली ज़मीनों को भूमिहीनों में वितरित किया जाए|
7. उत्तर प्रदेश में भूमि आयोग गठित किया जाये|
प्रदर्शन का आयोजन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेशीय आवाहन पर किया गया जिसमें जिला संयोजक एम सलाहुद्दीन, हरिराम अरोरा, केजी त्रिवेदी, सिराज अहमद, गया प्रसाद, मोहित कुमार, नीरज कुमार, रामस्नेही वर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता के० जि० त्रिवेदी ने की|