मातृ ऋण से मुक्त नही हो सकता कोई भी प्राणी: राही
सीतापुर 【सिराज टाइम्स न्यूज़】 प्रत्येक मनुश्य पर मातृ, पितृ व गुरू का ऋण होता है, जिसे चुकाने का विधान पौराणिक धर्म ग्रन्थों में बताया गया है। मनुश्य गुरू व पितृ ऋण से तो मुक्त हो सकता है, परन्तु मातृ ऋण से मुक्त होना सम्भव नही होता है। क्योंकि माॅ जिस प्रकार बच्चे के जन्म से लेकर बड़े होने तक अपने सुखों का परित्याग कर बच्चों कों सुखी सानन्द बनाने में सुखानुभूति करती है, वह त्याग न पिता कर सकता है और न ही गुरू।
यह बात पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री राम लाल राही ने अपनी धर्म पत्नी व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष स्व0 श्रीमती सुन्दरि राही की प्रथम श्रृाद्ध कार्यक्रम में अपनी पुत्रियों द्वारा गरीब महिलाओं व साधु सन्याषियों को कम्बल, बर्तनों के सेट, फल व भोजन दान दक्षिणा देकर अपनी दिवंगत माता के प्रति श्रृद्धा व्यक्त की। स्व0 श्रीमती राही की विद्या राही, पुश्पा राही, पूनम राही व नीतू राही ने कहा कि आज मेरी माॅ हम सब के मध्य नही हैं, किन्तु उनके द्वारा सम्पादित संस्कार, आदर्ष व विचार हमेषा हम सबके मन मंदिर में जीवित हैं, जो हमें जीवन पर्यन्त तक प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे।
इस अवसर पर जेल रोड स्थित आवास पर पूर्व विधायक रमेष राही, विधायक सुरेष राही, मंजरी राही व निषा राही द्वारा आयोजित श्रृाद्ध भोज व मातृ नवमी कार्यक्रम में जहाॅ भारी संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया वही खैराबाद स्थित कुश्ठ आश्रम व बाबा जंगलीनाथ मंदिर पर लोगों को भोजन करा कर दान-दक्षिणा प्रदान किया।