जिगर वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के तत्वाधान में फकीर मुहम्मद एजुकेशनल हब में हुआ महिलाओं पर शानदार कार्यक्रम

बिसवां, सीतापुर (सिराज टाइम्स न्यूज़)  इस्लाम में औरतों का इतना बड़ा मका़म है, अदब, एहतिराम  , मरतबा , इकराम , ख़्याल है, जिसका तसव्वुर नहीं किया जा सकता, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के नाम पर जमा होना यह ईमान वालों की अलामत है। यह बात सामाजिक संस्था जिगर वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के तत्वाधान में  मगंरहिया बाजार स्थित फकीर मुहम्मद एजुकेशनल हब में  मुख्य अतिथि के तौर पर सैकड़ों महिलाओं को संबोधित करते हुए  जमीयत उलेमा के जिला उपाध्यक्ष मौलाना आसिम इकबाल नदवी ने कही।
आगे उन्होंने कहा कि मेरी बहनों याद रखिए सदक-ए-जारिया के तौर पर   शौहर, चचा व भाई- बहन के देने से आपको कुछ नहीं मिलेगा ,जब तक आप खुद खर्च नहीं करेगीं। पहले भी औरतें इस्लाम  के खातिर खर्च किया करती थी , आज भी कर रही हैं।  सदक-ए-जारिया में किताबें, दरें ,पानी के नल, किसी मदरसे में बैठने की व्यवस्था करना, मस्जिद में रोशनी करने की व्यवस्था आदि चीजें आती हैं। जिसका सवाब आपको हरदम  , मरने के बाद भी मिलता रहेगा। खर्च हमेशा अपनी हैसियत के अनुसार करो, मसलन ₹100 की हैसियत है और इस्लाम के लिए एक रुपए दे रहे हैं इसका सवाब तो बहुत दूर, यह तो अल्लाह के दीन का मजा़क उड़ाना होगा। और आप न तो शौहर की जन्नत जायेगीं और न ही मां की जन्नत जायेगीं।
मेरी बहनों आप सारे काम बिस्मिल्लाह से शुरू किया करो। क्योंकि जो अल्लाह का जिक्र करता है अल्लाह   उसके सारे कामों को बना देते हैं।
आज हमारे समाज में  ग़ीबत करना आम हो गया है।
ग़ीबत करने के बजाए ग़ैबत किया करो।
  ग़ीबत का अर्थ  (पीठ-पीछे  मोमिन भाई व मोमिन बहन की बुराई करना) ग़ैबत का मतलब (उसकी गलती उससे सही करने के लिए मुहब्बत से कहना)
कुरान-ए- पाक मे आता है कि बहुत से मर्द और बहुत सी औरतें अल्लाह के सामने अपने गुनाहों के बोझ के सिवा दूसरों का भी बोझ अपने सर पर लादकर आयेगीं/आयेगें, यह ग़ीबत करने का अंजाम होगा।
आज समाज में सबसे बड़ी अज्ञानता यह है कि मर्द औरत से अफज़ल है , जब जाहिलों से दीन सुना जाएगा तो ऐसी ही बातें सामने आयेगीं। मर्द-औरतों पर जिम्मेदार है , जो जिम्मेदार बनता है- वह उसका हमदर्द बन जाता है ।
जब निकाह कबूल किया जाता है तो औरत के बजाय आदमी से कुबूल करवाने के लिए कहा जाता है तो वह आदमी कहता है कि मैं इस औरत की बीमारी में इलाज कराऊंगा , खर्चा दूंगा , खाना दूंगा , इसके घर वालों का ख्याल करूंगा अब बताओ एक मर्द  एक औरत की कितनी जिम्मेदारियां संभाल रहा है , तो औरत अफज़ल हुई या मर्द ? 
 रसूल पाक स०अ० वस० ने फरमाया की जन्नत से अफज़ल अल्लाह  ने कुछ नहीं बनाया लेकिन उस अफज़ल जन्नत को औरतों के क़दमों के नीचे डाल दिया। रसूल पाक स०अ० वस० ने एक साहब से अम्मा की खिदमत के लिए तीन बार कहा जबकि चौथी बार बाप की खिदमत के लिए कहा। यहां से भी महिलाओं के इस्लाम में मका़म का पता चलता है।
और औरतों को अपना मकाम समझना चाहिए।
श्री नदवी ने महिलाओं से कहा कि आप गौर करो कि  अल्लाह ने  औरतों के लिए जन्नत की मिसाल हज़रते मरियम अ०स०, हज़रते ख़दीजा, हज़रते आइशा से दी। औरतें हैं जिन्होंने दुनिया के अंदर अपनी दीनदारी व  अच्छे व्यवहार (एख़लाक )से एक बड़ा नाम पैदा किया। मौ० नूरूल हक नदवी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में बच्चियों ने नाते पाक पेश की।
बयानात के पश्चात मुल्क की खुशहाली , तरक्की अमन व अमान हेतु विशेष दुआ की गई। अंत में आयोजक सिराज अहमद ने आई हुई महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि फकीर मुहम्मद एजुकेशनल हब (मगंरहिया बाजार) अशिक्षित, छोटी बच्चियों नौवजवान और वृद्धाओं को दीनी व दुनियावी ज्ञान दे रहा है । जिसमें आप सभी बढ़-चढ़कर प्रवेश लें । उक्त अवसर पर फज़ल अहमद,  सिराज अहमद, वहाजुद्दीन गौ़री , मुहम्मद शुऐब सहित गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।


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