रिज़वान लाइब्रेरी सोसाइटी का सर सैय्यद दिवस 17 को

तम्बौर, सीतापुर ( सिराज टाइम्स न्यूज़ ) रिज़वान लाइब्रेरी सोसाइटी तम्बौर आगामी 17 अक्टूबर को हर्ष उल्लास के साथ सर सैय्यद दिवस मनाने जा रही है। यह जानकारी उक्त संस्था के ज्वाइंट सेक्रेटरी मुफ्ती अहमद ख़बीर अलीग ने देते हुए बताया कि सर सैय्यद दिवस 17 अक्टूबर को इरम पब्लिक स्कूल में मनाया जाएगा।
आपको बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का उल्लेख विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों की सूची में विगत कई वर्षों से सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में लगातार आ रहा है। विश्वविद्यालय के संस्थापक महान शिक्षाविद, समाज सुधारक और भारत मे नवीन शिक्षा पद्घति के सूत्रधार सर सैय्यद अहमद खान का जन्मदिवस सर सैय्यद दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष समूचे विश्व भर में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। उस दिन सम्पूर्ण अलीग बिरादरी देश के महान शिक्षाविद समाजसुधारक सर सैय्यद को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
भारत में 1857 के विद्रोह के पश्चात अंग्रेजों का अत्याचार अपने चरम सीमा पर था। देश मे भय और अनिश्चितता का वातावरण व्याप्त था। देश की स्थिति अत्यंत दयनिय हो चुकी थी भूखमरी, बेरोजगारी, ग़रीबी, महामारी और लाचारी के सेवा कुछ न था। शिक्षा से और पठन पाठन से हम कोसों दूर थे। ऐसी परिस्थिति में सर सैय्यद ने शिक्षा का अलख जगाया। और 1875 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज की स्थापना की जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।


इस विश्वविद्यालय ने सम्पूर्ण भारत मे शिक्षा के प्रचार- प्रसार में अग्रणी भूमिका निभायी। भारत ही में नही अपितु दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में भी इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय ने शिक्षा का दीपक प्रज्वलित किया। सर सैयद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को हुआ। ये दिन इतिहास के पन्नो मे अमर होकर रह गया। आज भारत के इस विश्वविद्यालय से शिक्षा अर्जित करके लाखों भारतीय देस विदेश में अपना नाम रौशन कर रहे हैं।
 सर सैय्यद केवल व्यक्ति विशेष का नाम मात्र ही नही थे, बल्कि सर सैय्यद एक विचारधारा के जनक थे जिसका मूल था कि  “भारत एक हसीन दुल्हन की तरह है हिन्दू-मुस्लिम इसकी दो खूबसूरत आंखें हैं”
भारत की शिक्षा व्यवस्था, और इसकी एकता अखंडता मे सर सैय्यद के योगदान को भुलाया नही जा सकता।
          " शाम दर शाम जलेंगे तेरी यादों के चिराग
              नस्ल दर नस्ल तेरा दर्द नुमायां होगा" ।


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