महिलाएं जानकारी के अभाव में घरेलु नुसखे एवं स्वयं मेडिकल स्टोर से दवा लेने के कारण गंभीर जटिलताओं का सामना करना पडता है

सीतापुर ।  प्रजनन स्वास्थ्य एवं गर्भसमापन सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से गुरूवार को शहर स्थित होटल ट्रीट में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन चित्रांशु समाज कल्याण परिषद संस्था और साँझा प्रयास नेटवर्क के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इस एक दिवसीय कार्यशाला के मुख्य अतिथि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 पी0के सिंह रहे। कार्यशाला में ए0सी0एम0ओ0, डी0पी0एम, समस्त बी0सी0पी0एम, एम0ओ0आई0सी सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों, डाक्टरो, मीडिया
प्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं आदि ने भाग लिया। कार्यशाला के दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 पी0के सिंह द्वारा बताया गया
कि उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले कुल 31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं में होते हैं। प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि सुरक्षित गर्भसमापन विषय की समस्त जानकारी समय पर प्राप्त करते हुए उस
जानकारी से अपने अधीनस्थ एवं जन सामान्य को जागरूक करें। डा0 सुरेन्द्र शाही, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, आर०सी०एच, सीतापुर द्वारा बताया गया कि महिलाएं जानकारी के अभाव में घरेलु नुसखे एवं स्वयं मेडिकल स्टोर से दवा लेने के कारण गंभीर जटिलताओं का सामना करना पडता है, इसलिए यह आवश्यक है कि सुरक्षित गर्भसमापन विषय पर विभिन्न माध्यमों से समय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित जनसमुदाय को जागरूक किया जाए, जिससे जिन स्वास्थ्य केन्द्रों सुरक्षित गर्भसमापन की सेवाएं देने के लिए सरकार द्वारा
प्रशिक्षित चिकित्सक से सेवाएं प्राप्त करें। जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुजीत ने कहा कि आज भी हमारे जिले में प्रशिक्षित महिला चिकित्सकों की कमी है। जिसके कारण असुरक्षित गर्भसमापन को बढ़ावा मिल रहा है। सुश्री श्वेता सिंह, यू०पी वॉलेण्टरी हेल्थ एसोसिएशन ने साँझा प्रयास नेटवर्क के बारे में
बताया कि यह नेटवर्क बिहार व उत्तर प्रदेश में 20 स्वयंसेवी संस्थाओं का समूह है जो कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं को सुद्रढ़ करने व समुदाय में जागरुकता बढ़ाने का कार्य करता है। प्रतिक्षा, आई0पास0 डेवेल्पमेंट फाउंडेशन ने एम०टी०पी एक्ट के बारे में विस्तार में बताया। भारत में गर्भपात चार दशकों से अधिक समय से कानूनी है परन्तु गर्भपात सेवाएं
आज भी सरलता से उपलब्ध नहीं हैं। इसके फलस्वरूप अनचाहा गर्भ धारण करने वाली
महिलाओं को गर्भपात हेतु असुरक्षित तरीकों व अप्रशिक्षित प्रदाताओं की ओर रूख करना
पड़ता है। प्रत्येक वर्ष भारत में अनुमानतः 1.56 करोड़ गर्भपात होते है जिसमे से लगभग दो
तिहाई स्वास्थ्य संस्थाओं के बाहर होते हैं। और हर 2 घंटे में असुरक्षित गर्भपात सम्बंधित कारणों से एक महिला की मृत्यु हो जाती है। अर्चना मिश्रा, कार्यकर्ता, चित्रांशु समाज कल्याण परिषद ने फील्ड के अनुभव को सांझा किया और बताया कि समुदाय को, विशेषकर महिलाओं को कानूनन गर्भसमापन सेवाओं की जानकारी नहीं है। साथ ही गर्भसमापन सेवाओं की ग्रामीण क्षेत्रों में कमी तथा गर्भसमापन को
लेकर कई सारी भ्रांतिया है। 


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