31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं में होते हैं
सीतापुर। सुरक्षित गर्भपात विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि डा0 पीके सिंह अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, एसीएमओ आरसीएच, डीपीएम उपस्थित रहे। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सीतापुर डा0 पी0के सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले कुल 31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं में होते हैं। साथ ही उन्होने प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को सुरक्षित गर्भसमापन विषय की समस्त जानकारी समय-समय पर प्राप्त करते हुए अपने अधीनस्थ एवं जन सामान्य को जागरूक करने की बात कहीं। वहीं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, आर0सी0एच, डा0 सुरेन्द्र शाही ने बताया कि महिलाएं जानकारी के अभाव में घरेलु नुसखे एवं स्वयं मेडिकल स्टोर से दवा लेने के कारण गंभीर जटिलताओं का सामना करना पडता है, इसलिए यह आवश्यक है कि सुरक्षित गर्भसमापन विषय पर विभिन्न माध्यमों से समय-समय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित जनसमुदाय को जागरूक किया जाए, जिससे जिन स्वास्थ्य केन्द्रों सुरक्षित गर्भसमापन की सेवाएं देने के लिए सरकार द्वारा प्रशिक्षित चिकित्सक से सेवाएं प्राप्त करें। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुजीत ने आगे कहा कि आज भी हमारे जिले में प्रशिक्षित महिला चिकित्सकों की कमी है, जिसके कारण असुरक्षित गर्भसमापन को बढावा मिल रहा है। यू0पी वाॅलेण्टरी हेल्थ एसोसिएशन की श्वेता सिंह ने साँझा प्रयास नेटवर्क के बारे में बताया कि यह नेटवर्क बिहार व उत्तर प्रदेश में 20 स्वयंसेवी संस्थाओं का समूह है, जो कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं को सुद्रढ़ करने व समुदाय में जागरुकता बढ़ाने का कार्य करता है। जबकि आईपास डेवेल्पमेंट फाउंडेशन की प्रतिक्षा ने एमटीपी एक्ट के बारे में विस्तार में जानकारी देते हुए बताया कि भारत में गर्भपात चार दशकों से अधिक समय से कानूनी है, परन्तु गर्भपात सेवाएं आज भी सरलता से उपलब्ध नहीं हैं। इसके फलस्वरूप अनचाहा गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को गर्भपात हेतु असुरक्षित तरीकों व अप्रशिक्षित प्रदाताओं की ओर रूख करना पड़ता है। प्रत्येक वर्ष भारत में अनुमानतः 1.56 करोड़ गर्भपात होते है जिसमे से लगभग दो तिहाई स्वास्थ्य संस्थाओं के बाहर होते हैं। और हर 2 घंटे में असुरक्षित गर्भपात सम्बंधित कारणों से एक महिला की मृत्यु हो जाती है। कार्यकर्ता अर्चना मिश्रा, चित्रांशु समाज कल्याण परिषद ने फील्ड के अनुभव को सांझा किया।