2018 में इन सेंटरों पर किराए की कोख से पांच हजार बच्चों का जन्म हुआ

लखनऊ । प्राप्त सूचना के अनुसार  इंडियन सोसाइटी ऑफ थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन की सचिव डॉ. शिवानी सचदेवा गौर ने कहा कि बिल लोकसभा में गत वर्ष पास हुआ। राज्यसभा में पास होकर कानून में तब्दील हो जाएगा। वहीं, सिर्फ लोकसभा से पास होने पर ही देश में गत वर्ष सेरोगेसी मदर-चाइल्ड का ग्राफ काफी घट गया। देशभर के तीन हजार आइवीएफ सेंटरों पर सेरोगेसी मदर-चाइल्ड केयर की सुविधा है। वर्ष 2018 में इन सेंटरों पर किराए की कोख से वर्ष भर में करीब पांच हजार बच्चों का जन्म हुआ। वहीं वर्ष 2019 में दंपतियों ने सरोगेसी मदर से मुंह फेर लिया। ऐसे में गत वर्ष सिर्फ दो हजार शिशुओं ने ही सरोगेसी मदर से जन्म दिया। गुजरात से आए सोसाइटी के संरक्षक डॉ. सुधीर शाह के मुताबिक दरअसल, सरोगेसी में कोई भी दंपती एक महिला से करता है। उसमें आइवीएफ तकनीक से गर्भाधान कराया जाता है। इसके लिए दपंती महिला व गर्भस्थ शिशु की देखभाल के लिए रकम देते हैं। इस तरह सरोगेट मदर का चयन करने वालों में 50 फीसद अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड के नागरिक व अप्रवासी भारतीय सरोगेट हैं।  उक्त जानकारी मीडिया मे आने के बाद प्रकाशित की गई ।


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