मज़दूर विरोधी श्रम कानून वापस हो : एम सलाहुद्दीन

सीतापुर।  श्रम कानून को 3 साल तक रद्द करके उसके स्थान पर नया श्रम अध्यादेश बनाये जाने के विरोध में वाम दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश में मजदूरों के साथ साथ आम जनता को लॉकडाउन में हो रही तमाम दिक्कतों का समाधान करने की मांग की गयी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला संयोजक एम सलाहुद्दीन ने कहा कि लॉकडाउन ने हर किसी की कमर तोड़ कर रख दी है। सरकार ने बिना कोई प्लानिंग के पूरे देश में अचानक लॉकडाउन घोषित कर दिया। जिससे सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित हुए और उनके भूखों मरने की नौबत आ गयी। इसके बावजूद सरकारों ने कोई व्यवस्था नहीं की जिससे मजबूर होकर मजदूर साधनविहीन होकर पैदल ही हज़ारों किलोमीटर के सफ़र पर अपने परिवार के साथ निकल पड़े और कई मजदूर भूख प्यास और थकान से रास्ते में ही मारे गये। सरकार का पूरा ध्यान अमीरों की सुवोधा पर लगा रहा और उन्हें जहाजो से वापस लाया जाता रहा।रास्ते में दम तोड़ने वाले मजदूरों के परिवारों को 50 लाख की आर्थिक सहायता दी जनि चाहिए। पूरी दुनिया में कच्चे तेल के दाम माइनस में चले गये लेकिन यहाँ की सरकारें पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स बढाकर इस संकट के समय में आम जनता की कमर तोड़ने पर आमादा हैं। महामारी का सारा बोझ आम जनता के कन्धों पर डाल दिया गया है, इसे बंद किया जाये। भाकपा माले प्रभारी गया प्रसाद ने कहा कि सभी मजदूरों का न्यूनतम वेतन 21 हज़ार किया जाये और बकाया वेतनों का तत्काल भुगतान किया जाये| हर परिवार को राशनकार्ड न होने पर भी 35 किलो खाद्यान्न दिया जाए जिससे इस कठिन समय में कोई भी भूखा न रहे।  


वर्कर्स फ्रंट के डा ब्रज बिहारी ने मांग करी कि कुटीर, लघु और माध्यम उद्योगों को राहत पॅकेज दिया जाये और छोटे व्यापारियों को व्यापार वापस शुरू करने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाए| लॉकडाउन के नाम पर आम नागरिक का उत्पीडन रोका जाए  और कोरोना से मुकाबले के लिया हर दल के साथ बैठक कर सटीक रणनीति बनाने के बनायी जाये। इस अवसर पर एडीएम विनय पाठक को ज्ञापन सौंपते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया और प्रतिनिधिमंडल में एम सलाहुद्दीन, गया प्रसाद और डा ब्रज बिहारी ही शामिल हुए। यह जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई। 


 


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