सरकार की मंशा अधूरी , गरीबों को भूखों मरने की मजबूरी !

    वहाजुद्दीन ग़ौरी


बिसवां , सीतापुर।  कोरोना जैसे भयंकर काल में केंद्र व प्रदेश सरकार ने गरीबों को सीधे उनके बैंक खातों में पैसा भेजना प्रारंभ तो किया,  परंतु यह धन असहाय, बुजुर्ग, महिलाओं,  विकलांग, पुरुषों , निर्धनों हेतु महज़ लाली पाप बना हुआ है। आपको बता दें कि  नगर की बैंकों का हाल बद से बदतर है।
सरकार द्वारा भेजी गई राशि को प्राप्त करने के लिए  खाता धारक लंबी कतारों में सुबह से बिना कुछ खाए पिए कड़ी धूप में  खड़े रहते हैं। पैसे तो आधार कार्ड से किसी भी जनसेवा केंद्र अथवा अन्य  स्थानों से बायोमेट्रिक उपकरण से फिगंर प्रिन्ट  द्वारा  निकाला जा सकता है,  परंतु  जब बैंक अकाउंट आधार से लिंक ही नहीं है तो यह (ट्रान्जेक्शन) प्रक्रिया असंभव हो जाती है।



नगर की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया  का क्या कहना !  बैंक के  संबंधित अधिकारी अपने ग्राहकों से अभद्र व्यवहार करने में खूब जाने जाते हैं , यहां तो के०वाई०सी० तो दूर  बैलेंस भी नहीं बताते हैं।  आर्यावर्त बैंक :-  यह बैंक काफी पुरानी है उक्त बैंक में ग्रामीणों किसानों के अधिकतर बैंक खाते हैं,  जिनके खाते  प्राय:   आधार कार्ड से लिंक ना होने के कारण दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है।  इलाहाबाद बैंक:-   इस बैंक  के भी ग्राहकों  की फुल के०वाई०सी०  नाम मात्र है।  इन बैंकों के जिम्मेदार हमेशा  प्रिंटर  की खराबी का रोना रोते हुए ना तो पासबुक पर कोई एंट्री करते हैं , और ना ही कोई प्रिंट  करते हैं।  नए खाता धारक को जब पासबुक बैंक द्वारा प्रदान की जाती है तो उसका प्रथम पहचान पृष्ठ  इतना हल्का छापते हैं कि कुछ भी दिखाई नहीं देता।  उक्त बैंकों के जिम्मेदार सरकार की मंशा पर खूब पानी फेर रहे हैं सबसे बड़ा सवाल तो यहां पर यह उठता है कि  प्रारंभ में ही खाता धारक की फुल के०वाई०सी० क्यों नहीं करते हैं ?  जिसके कारण ग्राहक दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है ।  उक्त संबंध में 23 वर्षों से असहायों की सेवा में समर्पित सामाजिक संस्था जिगर वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के  सचिव सिराज अहमद, वहाजुद्दीन ग़ौरी  तथा  स्थानीय  बैंक ग्राहकों मे  श्यामा,  सोनेश्वरी, मरियम , सायमा , रेशमा, समसुद्दीन,  चंद्रिका  सहित दर्जनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उक्त बातों को अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई किए जाने की सामूहिक रूप से विशेष मांग की है।


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