" ना गाने सुना करते हैं, ना गज़ले सुना करते हैं। हम डॉक्टर हैं, दिलों की धड़कने सुना करते हैं "

नजीबाबाद। बिजनौर (अब्दुल रऊफ की रिपोर्ट) डॉक्टर्स डे पर हमारे सहयोगी ने डा० जा़फर से बातचीत की , जिसमे उक्त  चिकित्सक ने कुछ इस तरह  के अंदाज़ से  " समाज में डॉक्टरों की विशेष भूमिका " को कविता के रूप में पेश किया। 



 पूजा भी  करते हैं, अदा   नमाज़ भी करते है। 
हम डॉक्टर है, खुदा के बन्दों का इलाज़ भी करते है।


ना गाने सुना करते हैं, ना गज़ले सुना करते हैं। 
हम डॉक्टर हैं, दिलों की धड़कने सुना करते हैं।


अनजान लोगों के दुःख-दर्द, कुछ ऐसे पहचान लेते है। 
हम डॉक्टर हैं, Blood report देखकर सब हाल जान लेते हैं।


ना गीता, ना बाइबिल, ना क़ुरान के लिए लड़ते है। 
हम डॉक्टर है, मेडिसिन पढ़ते है।


ना डिस्को में जाते हैं हम, ना डेट पे जाते हैं। 
हम डॉक्टर हैं, अक्सर घर देर से जाते है।


खुद ही कहानी लिखते हैं, खुद ही डायरेक्टर होते हैं। 
हम डॉक्टर हैं, हमारे अपनी मशीने, अपने थिएटर होते है।


हसरतें हूबहू है, ख़ुदा नहीं, हम भी बनना इंसान भला चाहते है। 
हम डॉक्टर है, चाहे कुछ भी हो अपने रोगी का भला चाहते हैं।


ना खाकी पे एतबार है, ना खद्दर पे इतना भरोसा करते है। 
हम डॉक्टर है, लोग हमारे काम पे कितना भरोसा करते है।


इश्क़-महरूनी, सर्द-ग़ुलाबी और धानी हम पर सब रँग फ़ब लेते है। 
हम डॉक्टर हैं, सफ़ेद एप्रिन के नीचे, जीवन के सब रंग ढक लेते है।


हिन्दू भी खड़ा रहता है, मुस्लिम भी खड़ा रहता है। ये डॉक्टर का दिल है, इंसानियत भीतर रहती है, मज़हब बाहर खड़ा रहता है।। 


डॉक्टर्स डे के  मौके पर नजीबाबाद  डॉक्टरों  से  कई क्षेत्रों के  प्रसिद्ध रहनुमाओं ने संपर्क कर  मुबारकबाद पेश किया। 


 


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