एआरएम ने मुझसे कहा कि दिव्यांगों के प्रमाण पत्र को मत चढ़ाना
"अभद्र व्यवहार को लेकर दिव्यांग ने की मुख्यमंत्री से शिकायत"
बिसवां, सीतापुर (सिराज टाइम्स न्यूज़) रोडवेज व अनुबंधित बस दिव्यांगों को फ्री सर्विस देने का दावा करती है, लेकिन असल में फ्री सर्विस के नाम पर दिव्यांगों से अक्सर अभद्र व्यवहार किया जाता है। ऐसा ही एक मामला सीतापुर से बिसवां आने वाली अनुबंधित बस में देखने को मिला। बिसवां निवासी दिव्यांग ने गत 22 फरवरी 2021 को रात्रि 9:15 पर बस नंबर UP34T 3377 पर जैसे ही सवार हुआ तो कंडक्टर हरनाम ने दिव्यांग से टिकट बनवाने हेतु विवश किया तब
दिव्यांग से बस कंडक्टर व इंक्वायरी बाबू द्वारा अभद्र व्यवहार किया गया। दिव्यांग ने स्वयं का दिव्यांगता प्रमाण पत्र (सीएमओ सीतापुर द्वारा प्रमाणित) दिया तो साथ में बस में सवार इंक्वायरी में बैठने वाले बाबू ने कंडक्टर से कहा कि कार्ड को मत चढ़ाना क्योंकि यह सब फर्जी है, एआरएम ने मुझसे कहा कि दिव्यांगों के प्रमाण पत्र को मत चढ़ाना। हम लोग सीएमओ या डीएम के नौकर नहीं है , कि मुफ्त में सबको सफर कराएं। मेरे अधिकारी के ऑफिस के बाहर साफ-साफ दिव्यांगों के प्रमाण पत्र को न चढ़ाने के लिए मना किया गया जिसकी नोटिस भी चस्पा है, उस इंक्वायरी बाबू ने कंडक्टर से कहा कि दिव्यांगों के प्रमाण पत्र फाड़ दिया करो। फिर कुछ देर बाद इंक्वायरी वाले बाबू (एनाउंसर) मानपुर के नजदीक बखरिया में उतर गया। उक्त प्रकरण को लेकर दिव्यांग द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक शिकायती पत्र लिखा है जिसमें उक्त बाबू के बड़बोलेपन , गंदा व्यवहार एवं दिव्यांग पर अत्यधिक क्रोध दिखाने , आदि के संबंध में इंक्वायरी बाबू तथा कंडक्टर हरनाम को निलंबित करते हुए कड़ी सजा दिए जाने की विशेष मांग की है। जिसमें
भविष्य में यात्रियों को असुविधा ना उठानी पड़े, साथ ही दिव्यांगों के आने पर उनकी रिजर्व सीट दिलाई जा सके।
सीतापुर डिपो के बस कंडक्टर की इसी शर्मनाक हरकत से रोड़वेज की किरकिरी भी हुई है।
बसों में दिव्यांगों से बदसलूकी आम है। बता दें कि उ०प्र० परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा करने के लिए सात श्रेणी के लोग अनुमन्य हैं लेकिन फिर भी रोडवेज बसों का स्टाफ कमाई ज्यादा दिखाने के लिए इससे आनाकानी करने से बाज नहीं आता। दिव्यांगों के साथ अभद्रता करने के साथ उन्हें बस से उतार देने या टिकट थमा देने की शिकायतें आम तौर पर विभाग में पहुंचती रहती हैं। यह अलग बात है कि अफसरों के स्तर पर इन शिकायतों को गंभीरता से न लिए जाने की वजह से ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। दिव्यांगों और अन्य श्रेणी के यात्रियों की मुफ्त यात्रा की प्रतिपूर्ति अलग-अलग विभाग करते हैं। अब देखना यह बाकी है कि , मामले को लेकर उच्च अधिकारी कितना गंभीर दिखाई देते हैं या फिर लीपापोती करते हुए निस्तारण कर देंगे , यह तो आने वाला समय ही बताएगा?