वक्त के साथ एहतराम बदल जाते है

'जश्न-ए-अवध लखनऊ' , मुशायरा   
व कवि सम्मेलन आयोजित हुआ

         रिपोर्ट : वहाजुद्दीन ग़ौरी
लखनऊ। सामाजिक व शैक्षिक गतिविधियों मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली राजधानी की प्रसिद्ध संस्था (अवार्ड विनर) एस्ट्रल एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान मे उ0प्र0 उर्दू अकादमी आडीटोेरियम , विभूति खण्ड (गोमती नगर) में एक विशाल 'जश्न-ए-अवध लखनऊ', मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें सेंटर हेड 'उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी डॉ० शीमा रिज़वी कम्प्यूटर सेन्टर लखनऊ'  शाईन्दा किदवई ने नाते पाक पेश किया।  सग़ीर नूरी, मालविका हरिओम, सैफ बाबर,तारिक कमर, उस्माान मीनाई, हसन काजमी, सरला शर्मा असमा,जीशान नियाजी, शादाब जावेद, ने अपने-अपने कलाम से दर्शकों के दिलों पर राज़ किया।

 मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप, पूर्वी लखनऊ के ए०डी०सीवपी०,एस०एम०कसि़म आबिदी,उत्तर लखनऊ के  डी०सी०पी०, रईस अख्तर , उ0प्र0 उर्दू अकादमी के सचिव एस० रिज़वान की उपस्थिति सराहनीय रही। एस्ट्रल एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी  द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में  महारत हासिल करने वालों को विशेष सम्मान दिया। जिसमें चौधरी अदनान, पूर्व चयरमैन सुबेहा,  सैय्यद ज़रीन , समाज सेवा, नीरज अम्बुज ,पत्रकारिता, फैसल वासिक वारसी ,समाज सेवा, हफीज़ किदवाई ,लेखन, आलोक श्रीवास्ताव ,कलाकार, मेराज हैदर, समाज सेवा,  आफताब आलम रेडियो मिर्ची कन्टेन्ड हेड को 'स्टार अवध अर्वाड 2021' से सम्मानित किया । उक्त संस्था ने कैलिग्राफी एवं ग्राफिक डिज़ाइन कोर्स पूरा कार चुके छात्रों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया।

जिसमें साजिदा खानम, खालिक़ अहमद सिद्दीकी, राबिया बसरी, और शहानी सिद्दीकी के नाम क़ाबिले ज़िक्र है। कार्यक्रम का  सफल संचालन सग़ीर नूरी ने किया । 'जश्न-ए-अवध लखनऊ' , मुशायरा व कवि सम्मेलन में शायरों ने कुछ इस तरह से अपने-  अपने कलाम पेश किये। 

" वक्त के साथ एहतराम बदल जाते है, आदमी देखकर सलाम बदल जातें है" - मालविका हरिओम

"सब मेरे चाहने वाले है, मेरा कोई नहीं , मैं भी इस मुल्क में उर्दू कि तरह रहता हूँ" - हसन काज़मी

"बड़ी दुश्वारियों के बाद आसानी में रहती हूँ, चमन में भी काटों की निगाहबानी में रहती हूँ" 

" मुझे ज़ख्मों के खन्जर से निपटना खूब आता है, मैं अपने हौसले हिम्मत की सुल्तानी में रहती हूँ "  - सरला शर्मा असमा

"अब इतना हो गया मैं इसतराब का आदि, सुकून अगर मिले तो बेकार हो जाऊं " - उस्मान मिनाई

"सौ बार टूटने पे भी हारा नहीं हूँ, मैं, मिट्टी का इक चराग हूँ तारा नहीं हूँ मैं"  - ज़ीशान नियाज़ी

"बुलंदियों पे जो पहुचो तो भूल मत जाना, ज़मी पे आ गये कितने उड़ान भरते हुए" - सैफ बाबर

"आसमानों के इशारे नहीें समझे हमने , अब ज़मीनो पे समेटे हुए पर बैठे है"  - डा0 तारिक क़मर ।

उक्त अवसर पर गुफरान किदवाई , माज़ अख्तर अहसन , मुमताज़ अहमद, आमिर,  हफीज़ किदवाई, चैघरी शुएब, शाह आलम, आसिम सिद्दीकी, डा0 आतिफा , ताबिश सिद्दीकी, 
मसिहुद्दीन खाँ , वकास वारसी, मो0 क़ासिम, शेख सैफ, अब्दुल नईम, खालिद सैफुल्लाह, सलाहुद्दीन, सुफियान हुसैन मौजूद रहे ( सिराज टाइम्स न्यूज़ )

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