छोड़ के नफ़रत एक रहें सब गुलशन
शानदार मुशायरा आयोजित किया गया रिपोर्ट: वहाजुद्दीन ग़ौरीखैराबाद ,सीतापुर। कस्बे के हफ़्सा मैरिज हॉल में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से एक शानदार मुशायरा आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ० अज़ीज़ खैराबादी ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर अध्यक्ष नगर पालिका परिषद खैराबाद हाजी जलीस अंसारी ने शिरकत की। श्री अंसारी ने कहा कि लंबे समय के बाद, शहर में मुशायरा आयोजित करने के लिए सोसायटी और उर्दू अकादमी के सचिव एस रिजवान को धन्यवाद देता हूं। इस मौक़े पर माने - जाने समाजसेवी व मुबल्लिग़ दारुल उलूम नदवतुल उलेमा , मुफ़्ती आफ़ताब आलम नदवी की उपस्थिति ने मुशायरे में जान डाल दी। श्री नदवी ने उर्दू की उपयोगिता को बताते हुए हम्द व नात के कवियों को प्रोत्साहित किया। उक्त संस्था के अध्यक्ष अकबर अली ने कवियों, अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत करते हुए, सोसायटी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम के संयोजक डॉ० मख़मूर काकोरवी थे, मुशायरे में इरफ़ान लखनवी, तशना आज़मी,सलीम ताबिश, मुईद रहबर, इकबाल अकरम वारसी मजाज़ सुल्तानपुरी, महफूज़ रहमानी, नसीर अहमद नसीर, डॉक्टर तनवीर इकबाल बिसवानी, मंजर यासीन, खुश्तर रहमानी , जियाउद्दीन,जिया खैराबादी, शाकिर खैराबादी, कारी आजम जहांगीराबादी, हाफ़िज़ मसूद महमूदाबादी, विवेक मिश्रा राज खैराबादी, महबूब खैराबादी, धर्मराज उपाध्याय, रहबर खैराबादी, बिलाल महमूदाबादी, कमर खैराबादी, रईस रहमानी, और घायल खैराबादी ने कलाम पेश किया। अंत में फ़ीरोज़ आलम ने शोरा और दर्शकों को धन्यवाद अर्पित किया। इन कविताओं को दर्शकों ने खूब पसंद किया।मेरे ही दम से है शोर ए सदाक़त, मैं लब सी लूं तो सन्नाटा बहुत है।।(डॉ० अज़ीज़ खैराबादी)
शानदार मुशायरा आयोजित किया गया
रिपोर्ट: वहाजुद्दीन ग़ौरी
खैराबाद ,सीतापुर। कस्बे के हफ़्सा मैरिज हॉल में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से एक शानदार मुशायरा आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ० अज़ीज़ खैराबादी ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर अध्यक्ष नगर पालिका परिषद खैराबाद हाजी जलीस अंसारी ने शिरकत की। श्री अंसारी ने कहा कि लंबे समय के बाद, शहर में मुशायरा आयोजित करने के लिए सोसायटी और उर्दू अकादमी के सचिव एस रिजवान को धन्यवाद देता हूं।
इस मौक़े पर माने - जाने समाजसेवी व मुबल्लिग़ दारुल उलूम नदवतुल उलेमा , मुफ़्ती आफ़ताब आलम नदवी की उपस्थिति ने मुशायरे में जान डाल दी। श्री नदवी ने उर्दू की उपयोगिता को बताते हुए हम्द व नात के कवियों को प्रोत्साहित किया। उक्त संस्था के अध्यक्ष अकबर अली ने कवियों, अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत करते हुए, सोसायटी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम के संयोजक डॉ० मख़मूर काकोरवी थे, मुशायरे में इरफ़ान लखनवी, तशना आज़मी,सलीम ताबिश, मुईद रहबर, इकबाल अकरम वारसी मजाज़ सुल्तानपुरी, महफूज़ रहमानी, नसीर अहमद नसीर, डॉक्टर तनवीर इकबाल बिसवानी, मंजर यासीन, खुश्तर रहमानी , जियाउद्दीन,जिया खैराबादी, शाकिर खैराबादी, कारी आजम जहांगीराबादी, हाफ़िज़ मसूद महमूदाबादी, विवेक मिश्रा राज खैराबादी, महबूब खैराबादी, धर्मराज उपाध्याय, रहबर खैराबादी, बिलाल महमूदाबादी, कमर खैराबादी, रईस रहमानी, और घायल खैराबादी ने कलाम पेश किया। अंत में फ़ीरोज़ आलम ने शोरा और दर्शकों को धन्यवाद अर्पित किया। इन कविताओं को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
मेरे ही दम से है शोर ए सदाक़त, मैं लब सी लूं तो सन्नाटा बहुत है।।(डॉ० अज़ीज़ खैराबादी)
जब कोई कौम गुलामी के निशां छोड़ती है, सबसे पहले वो खुद अपनी ही जुबां छोड़ती है।। (नाज़ प्रतापगढ़ी)
अभी बे ताज हमको मत समझना, अभी उर्दू विरासत है ,हमारी।। (मस्त हफिज़ रहमानी)
बनाएं आप न माहौल शहर का ऐसा, बजाय खैर फ़ज़ाओं में शर महकने लगे।।(डॉ० मख़मूर काकोरवी)
छोड़ के नफ़रत एक रहें सब गुलशन में, ऐसा हिंदुस्तान बना दे या अल्लाह।। (अशफाक अली गुलशन खैराबादी)