जमीयत उलमा ए हिंद ने दैनिक जागरण समाचार पत्र को भेजा मानहानि का नोटिस

मदरसों से संबंधित झूठी रिपोर्टिंग के संबंध में एक्शन के मूड में जमीयत उलमा ए हिंद

नई दिल्ली (सिराज टाइम्स न्यूज़) जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हिंदी दैनिक समाचार पत्र 'दैनिक जागरण' को एक भ्रामक खबर प्रकाशित करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा है। जमीयत की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दैनिक जागरण  ने गत 7 जुलाई  को "उमर गौतम के मदरसे की खोज में 30 से अधिक रडार पर" के शीर्षक से समाचार को प्रकाशित किया था। बता दें कि जागरण की इस खबर में कई गलत और निराधार बातें शामिल हैं, यह रिपोर्टिंग पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना तथा भ्रामक  है। उक्त प्रकरण में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौ० महमूद मदनी ने  कहा है  कि यह मूलतः मदरसों की प्रतिष्ठा को खराब करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से है। इसके पढ़ने से सामान्यतः जिस तरह की भावना बनती है, वो सभी मदरसों के लिए अत्यंत नकारात्मक है।

आगे उन्होंने कहा कि इस्लामी मदरसों की साख को धूमिल करने की दुर्भावना से प्रकाशित की गई है, समाचारपत्र को तुरंत माफी मांगनी चाहिए और इसके प्रकाशन पर रोक लगानी चाहिए। वहीं नोटिस की बात करें तो उसमें कहा गया है कि प्रतिष्ठानों या अल्पसंख्यक संस्थनों यानी मदरसों के प्रबंधन को आपके द्वारा अवैध गतिविधि के रूप में दर्शाया गया है। यह एक भ्रामक और गलत धारणा है जो उन मूलभूत संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है जिसमें न केवल अनुच्छेद 30 के तहत सभी अल्पसंख्यक (धार्मिक या भाषाई) को देश में अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों को चलाने और स्थापित करने का अधिकार प्रदान किया गया है बल्कि अनुच्छेद 29 के तहत अलग भाषा, लिपि या संस्कृति वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग के भी इन्हीं अधिकारों को संरक्षित किया गया है। नोटिस में आगे कहा गया है कि  आपने गलत तरीके और दुर्भावना से कहा है कि मदरसे मान्यता नहीं लेना चाहते हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ज्यादातर गैर मान्यताप्राप्त मदरसे मान्यता के लिए आवेदन नहीं करना चहते हैं क्योंकि मान्यता मिलने पर उन्हें विभाग के नियमों का पालन करना होता है। चंदे का हिसाब देना होता है। यह मेरे मुवक्किल के खिलाफ नोटिसी (जागरण प्रकाशन और रिपोर्टर हसीन शाह) द्वारा तैयार किए गए स्पष्ट रूप से झूठे और निराधार तथ्य हैं। किसी भी मात्रात्मक आंकड़े, सांख्यिकीय संदर्भ या सबूत के अभाव में आपने द्वेष फैलाने की कोशिश की है। नोटिस में आगे कहा गया है कि “दुर्भावनापूर्ण इरादे से की गई इस विवादास्पद रिपोर्टिंग में व्यापक शीर्षक के तहत “लव जिहाद“ से सम्बंधित अन्य समाचारों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है। एक अकेले शीर्षक के तहत समाचार सामग्रियों का यह वर्गीकरण पाठकों को भ्रमित करने और मदरसों को अवैध गतिविधियों से बदनाम करने का प्रयास है।“ नोटिस में आगे कहा गया है कि “उपरोक्त समाचार के प्रकाशन से मदरसों को एक अपूरणीय क्षति हुई है और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। विशेषकर तब जब आपने उमर गौतम के मामले को इससे जोड़ने का प्रयास किया है जो कि स्वयं अभी इस स्तर एक असत्यापित और विचाराधीन मामला है।“ नोटिस में जागरण से बिना शर्त माफी मांगने और विवादित लेख का प्रसार बंद करने और अपनी वेबसाइट से इसकी ऑनलाइन कॉपी को हटाने की मांग की गई है।

इस सम्बंध में आज नई दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के संरक्षक एडवोकेट व मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने बताया कि इस खबर से यह प्रभाव देने का प्रयास किया गया है कि देश में सभी स्वतंत्र मदरसे गैरकानूनी तरीके से चलते हैं। इसलिए सरकार इनके विरुद्ध कार्रवाई करेगी। हालांकि यह सच्चाई है कि यह मदरसे देश के संविधान के बुनियादी अनुच्छेद 30 के अनुसार चलते हैं और उनका अस्तित्व बिलकुल संवैधानिक है और संवैधानिक अधिकार का संरक्षण है। इसलिए ऐसी खबरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है जिससे सभी मदरसों की साख प्रभावित होती है। उक्त जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई।

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