205 वीं जयंती पर मदरसा फुर्कानिया में सर सैय्यद डे मनाया गया
बिसवां, सीतापुर (सिराज टाइम्स न्यूज़) एएमयू ओल्ड ब्वॉएज एसोसिएशन की सीतापुर इकाई के तत्वावधान में मदरसा फुर्कानिया में सर सैय्यद अहमद खान की 205वीं जयंती मनाई गई।
इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर डा० शकील अहमद ने कहा कि सर सैय्यद अहमद खान ने सबसे पहले भारतीय समाज व सभी वर्ग के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले महान शिक्षाविद व नेता सर सैय्यद ने अलीगढ़ क्रांति की शुरुआत की। यह एक ऐसा मिशन था जिसमें शामिल बुद्धिजीवियों और नेताओं ने भारतीयों को शिक्षित करने का काम किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि |
सर सैय्यद अहमद 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के परिप्रेक्ष्य में असबाब-ए-बग़ावत-ए-हिन्द किताब लिखी इस किताब के जरिए उन्होने ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की। उस समय अंग्रेज बुरी मानसिकता के चलते अराजकता में मुसलमानों को जिम्मेदार मान रहे थे। जिस तरह उस वक्त मुसलमानों ने अपनी सकारात्मक बेदारी का सुबूत दिया। सदियों से हम सभी धर्म के लोग आपस में भाईचारगी के साथ रहते आये हैं, इस कल्चर को कोई भी तब्दील नही कर सकता, इसलिए नाउम्मीद व मायूस होने की जरूरत नहीं है।
मंच पर मौजूद अतिथिगण |
डा० शकील अहमद ने आगे अपने सम्बोधन में कहा कि सर सैय्यद अहमद खान महिलाओं की शिक्षा हेतु हमेशा साथ खड़े रहे हैं। स्वर्गीय श्री खान ने उस समय कहा था कि "कौम में राबिया बसरी जैसी औरतें हैं"।
सर सैय्यद अहमद खान दीनी और सामाजिक थे। इन्होंने ही सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ब्रिज कोर्स चालू कराया।
संचालन करते हुए मौलाना आसिम इकबाल नदवी |
मुख्य अतिथि ने कहा कि आज हमें तालीम पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारे नबी स०अ०वस० का फरमान है कि इल्म हासिल करो । दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ के बानी मौलाना अबुल हसन अली हसनी नदवी (अली मियां) रह० ने उत्तम चरित्र पर सबसे अधिक ज़ोर दिया है। आगे उन्होंने अपने खिताब मे कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बी०ए० की पहली डिग्री गैर मुस्लिम भाई को दी गई।
इस दौरान मुख्य अतिथि द्वारा अपने- अपने मोहल्ले में कम से का एक ग़रीब अशिक्षित बच्चें की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेने की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शरे अदालत के जिला काजी व इमाम ईदगाह बिसवां मौलाना जावेद इकबाल नदवी ने कहा कि समाज में एक से बढ़कर एक हीरे पडे है अब हमें उनकी सलाहियतों को पहचानकर तरासने की आवश्यकता है। आगे उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि सर सैय्यद अहमद खान उस दौर के सबसे ज़हीन इंसानों में से एक थे. गणित, चिकित्सा और साहित्य कई विषयों में वो पारंगत थे. कहा जाता है कि जहां भी उनका तबादला होता था, वहां वो स्कूल खोल देते थे।
कार्यक्रम को मुफ्ती रहमतुल्लाह नदवी, समाजसेवी व नेता नसीम इंजीनियर, डा० जमालुद्दीन, मास्टर सईद अहमद, डा० अयाज़ अहमद अय्यूबी आदि वक्ताओं ने संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन पाक की तिलावत व नाते पाक से हुई। सफल संचालन जमीयत उलमा-ए-हिन्द (ए०एम०) सीतापुर के जिला अध्यक्ष मौलाना आसिम इकबाल नदवी ने किया। मदरसा फुर्कानिया के मैनेजर डॉ शाहिद इकबाल अलीग ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान व एएमयू के तराने पर हुआ।
कार्यक्रम में उपस्थित इंजीनियर रियाज़ अहमद सिद्दीकी व अन्य लोग |
इस दौरान छात्रा बुशरा खान ने अंग्रेजी व सादिया खातून ने उर्दू में भाषण प्रस्तुत किया, फलस्वरूप पुरस्कार भी दिया गया। उक्त अवसर पर इंजीनियर रियाज़ अहमद सिद्दीकी , मौलाना मोनिस अहमद अंसारी एडवोकेट, डा० आसिफ,इश्तियाक अहमद, उवैस, कुतुबुद्दीन, कफील अहमद खान, साजिद अली, सबा परवीन, सिजाउद्दीन, अनस, मास्टर इस्लाम, हाजी मस्तान, शब्बू खां, आमिर जमाल , मास्टर मकसूद अली, इशरत वकील,असरार अहमद एडवोकेट, अब्दुल्लाह सिद्दीकी, हाफ़िज़ मुहम्मद शुऐब सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।