अल्लाह रब्बुल इज्ज़त अपने बंदों को उसकी ताकत से ज्यादा बोझ नहीं देते : मौलाना कारी मुहम्मद रियाज अहमद

"अफ़गानियों की गैरतें दीं का है यह इलाज, मुल्ला को इनके कोह व दमन से निकाल दो"

कभी इस्लाम की खुशबू , कभी ईमान की खुशबू , हमारे साथ रहती है कुरआन की खुशबू!

यह जो तख़्तो ताज हैं , सब तेरे मोहताज हैं!


बिसवां, सीतापुर (वहाजुद्दीन ग़ौरी) पैगा़म-ए- नबूवत कमेटी बिसवां के तत्वावधान में शरीयत या जिहालत के शीर्षक पर जलसे आम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आग़ाज़ कारी सगीर अहमद व हाफिज मुहम्मद जान की तिलावते कुरआन पाक से हुआ। नाते पाक कारी मुहम्मद जावेद , मौलाना मसीहुल्ला तथा तालिबे इल्म अबूजर ने पेश किया। सफल संचालन मौलाना वकास नदवी ने किया। सरपरस्ती मौलाना जकी असलम कासमी, संरक्षक ईदगाह कमेटी बिसवां की रही। जलसे की अध्यक्षता मौलाना जावेद इकबाल नदवी ने किया।
  मुख्य अतिथि के तौर पर मौलाना व कारी मुहम्मद रियाज अहमद मजाहिरी नदवी, अध्यक्ष किरअत विभाग तथा इमाम जामा-ए- मस्जिद, दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ ने जलसे से खिताब करते हुए कहा कि अल्लाह ने जो दीन हमें पहुंचाया है यह बहुत आसान है। लेकिन हमने दीन को बहुत मुश्किल कर दिया है। मेरे प्यारे भाइयों अल्लाह पाक तो आसानी चाहते हैं अल्लाह रब्बुल इज्ज़त अपने बंदों को उसकी ताकत से ज्यादा बोझ नहीं देते हैं। बच्चों की पैदाइश पर हमने दीन को बहुत मुश्किल कर दिया सुन्नत है की पैदाइश के बाद उसका अक़ीक़ा कर दिया जाए।  


  अल्लाह ने यह आसानी अता फरमा दी कि बेटों के मौके पर दो बकरों का इंतजाम ना हो तो एक बकरे पर अक़ीक़ा करवा दे ,अक़ीक़ा बहुत जरूरी है जिस बच्चे का अक़ीक़ा होता है तो उससे मुसीबतें तथा बलाएं दूर हो जाती है। बच्चे के पैदाइश के सातवें दिन उसका नाम रखा जाए फिर अक़ीक़ा किया जाए और उसके सर के बाल मुंडवाए जाए, बालों के मिकदार चांदी अदा की जाए। अब देखिए मेरे अल्लाह ने यहां और भी आसानी कर दी कि मेरे बंदे तेरे पास अगर एक बकरे की हैसियत ना हो, तो ईद उल अजहा में कुर्बानी के दौरान बड़े जानवर में हिस्सा ले लें , तेरा अकीका हो जाएगा। मान लीजिए कुर्बानी में हमने एक बड़ा जानवर लिया है तो उसमें दो हिस्से या एक हिस्सा अकीके के लिए कर दिया। अकीका अदा हो जायेगा। इंशा अल्लाह।

र अगर दावत ना कर सकते हो तो गोश्त को जरूरत के मुताबिक तकसीम कर दीजिए ।
मुख्य वक्ता के तौर पर मौलाना कारी मुहम्मद रियाज अहमद मजाहिरी नदवी ने अपने बयान में आगे फरमाया कि अल्लाह पाक ने हमको 50 नमाजो का हुक्म दिया था लेकिन हमारे आका जनाबे मुहम्मद स०ल०अ०वस० सिर्फ पांच नमाजे फर्ज कराईं। इस तरह दीन आसान है। अल्लाह का वादा है एक नेकी का बदल 10 गुना देने का , इस तरह पांच नमाजो का सवाब 50 नमाजो के बराबर मिलेगा। अल्लाह पाक रहीम हैं, हदीस में आता है कि जो एक नमाज जानबूझकर छोड़ देता है तो कब्र के अंदर उस मुर्दे के ऊपर अजदहा मुसल्लत कर दिया जाता है जिसके एक बार मारने से मुर्दा 70 हाथ तक जमीन में धंस जाता है। अगर आपके पास खड़े होने की कूवत नहीं है तो आप बैठकर या लेट कर , तय्यमुम के साथ इशारे से नमाज पढ़ सकते हैं। अगर आप 15 दिन से कम ठहरने के इरादे के साथ 80 किलोमीटर का सफर करते हैं तो आप पर कसर होगा। किसी बुजुर्ग ने कहा है कि फर्ज हाफ, सुन्नत माफ और नफिल साफ।



 आगे मौलाना कारी श्री रियाज ने जलसे से खिताब करते हुए कहा कि हदीस में आता है कि जो शख्स दूसरों के काम ना आए उसके लिए हलाकत और बर्बादी है। आज हम अपने पड़ोसियों के छोटी-छोटी जरूरतों को नजरअंदाज कर देते हैं । कुरआन को किसी कारी से तलफ्फुज की अदायगी के साथ पढ़ा करो, कुरआन पाक को इतनी जोर से जरूर पढ़ा करो कि तुम्हारे कान सुन लें। कुरआन पाक तुम्हारे लिए मगफिरत या अज़ाब का जरिया बनेगा। 

मौलाना अब्दुस्सलाम नदवी भुटकली , प्रसिद्ध तफसीर शिक्षक दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ ने अपने संबोधन में कहा कि अल्लाह पाक रहमान है ,रहीम हैं, वह हर चीज को बर्दाश्त करते रहते हैं। लेकिन याद रखिए, गुनाहों से दूर रहिए, अल्लाह की पकड़ सख्ती से होती है। अल्लाह की निगाह से कोई भी छूट नहीं सकता। अल्लाह पाक से डर कर रहिए, उनकी बातों पर अमल करिए , अपनी जुबान का विशेष ख्याल करिए।
 अगर आपसे कोई काम हो नहीं सकता है तो उस पर कभी भी वादा ना करिए, सच बोलने से दुनिया और आखिरत में कामयाबी मिलेगी इंशा अल्लाह। हमेशा अपने लिए , अपने रिश्तेदारों के लिए मगफिरत की दुआ किया करिए, क्योंकि हकीकी कामयाबी मगफिरत ही है।

तक़वा और परहेज़गारी अल्लाह पाक से मिलवाती है। अल्लाह के रसूल ने बताया कि जिस चीज में शक हो तो उसको छोड़ दीजिए, अगर हमें हराम और हलाल की तमीज नहीं होगी, तो हमारा दिल भी ठीक नहीं हो सकता और अगर दिल ही खराब हो जाए तो हमारी पूरी जिंदगी तबाह हो जाएगी।हम इंसान हैं फरिश्ते नहीं , अगर कहीं, कभी गुनाह हो जाए तो हमें मायूस होने की आवश्यकता नहीं है ना ही मोहल्ला छोड़ने की और ना ही खुदकुशी करने की। हर वक्त इस गुनाह को दिल में बसाय ना रखिए , बल्कि जिसका आपने दिल दुखाया या अन्य गुनाह किया है। उससे माफी मांग कर उसके साथ अच्छा व्यवहार करिए। क्योंकि अच्छे आमाल की बरकत से अल्लाह पाक बुरे कामों को खत्म कर देता है।


 मौलाना जावेद इकबाल नदवी, इमाम ईदगाह बिसवां तथा काजी शरयी अदालत सीतापुर ने अपने खिताब में कहा कि आज के जो हालात है इससे कहीं ज्यादा बदतर हालात प्यारे रसूल अकरम स०ल०अ०वस० के दौर में थे। आज के हालात से हमें मायूस होने की जरूरत नहीं है। बल्कि ऐसे माहौल में हम अपनी जिंदगी को कैसे गुजारे ? कैसे सब्र का दामन थामे? हमें आज के समय में आपसी सौहार्द बनाए रखने की सबसे अधिक आवश्यकता है।
 मौलाना आसिम इकबाल नदवी, जिला अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिन्द (अरशद) तथा मदरसा फुर्कानिया के नाजिम ने अपने संबोधन में कहा कि हमें हमेशा अच्छे दोस्तों की संगत में रहना चाहिए। अच्छे दोस्त बाद मरने के भी काम आते हैं। अच्छा व्यवहार दीन में शामिल होने की कुंजी है। दीन की खिदमत के लिए हमारे हिंदुस्तान की इदारे पूरी दुनिया में जाते हैं, यह नसीब का काम है ,खैर खुशबू हर जगह फैलती है।
मौलाना अब्दुल हादी ने मौजूद बडे मजमे के सामने अल्लामा इकबाल के शेर को पेश करते हुए कहा कि "अफ़गानियों की गैरतें दीं का है यह इलाज, मुल्ला को इनके कोह व दमन से निकाल दो"। 


उन्होंने फरमाया कि उलमा का ताल्लुक अवाम से कट जाए , अवाम का ताल्लुक उलमा से कट जाए , इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए न जाने कितनी बड़ी बड़ी ताकतें लगी हुई है। फिर भी हमारी कौम है कि सोई हुई है?
 मौलाना तय्यब नदवी ने कहा कि जब हमारा संबंध दीन से हट जाएगा तो दुनियावी रुसूमात खुद ब खुद हमारे अंदर राएज हो जाएगी। दीन का संबंध दिल से है, जिस चीज को दिल कुबूल कर लेता है तो उस काम में आसानियां हो जाती है। वह इंसान जानवरों से भी ज्यादा बदतर है जो अपनी जिंदगी को नफस के हवाले कर देता है।


 अल्लाह पाक जिसके साथ होता है तो दुनिया वाले रास्ता अगर बंद कर दे तो उसके बंद करने से वह रास्ते बंद नहीं होते लेकिन जब हम खुद अपने लिए रास्ते बंद कर लेते हैं तो खोलने वाला तुम्हारी आवाज़ नहीं सुनता। कार्यक्रम के अंत में आयोजक मुहम्मद इकराम अंसारी ने आए हुए मेहमानों के प्रति आभार व्यक्त किया। 
इस दौरान हाफिज समीउद्दीन, मौलाना मुहम्मद रफीक, मुफ्ती अब्दुल्लाह गज़ाली नदवी, मौलाना अताउल्लाह कासमी, मुफ्ती अकील , मौलाना कलीम, कारी शहनवाज़, कारी अब्दुल रहमान, मुफ्ती जावेद, हाफिज फय्याज, डॉक्टर शाहिद इकबाल अलीग, डॉक्टर आसिफ इकबाल, हाजी सिराज अहमद, मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ सीतापुर के महामंत्री, वहाजुद्दीन ग़ौरी पत्रकार,  अलफैज, दिलशाद घोसी, रईस घोसी, सैफू घोसी, ओवैस घोसी, साजिद घोसी, हंजला घोसी, कैफ घोसी, अमन घोसी, मुहम्मद असद, हाफिज सोहेल, हाफिज असलम सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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