इस बार भी हज कमेटी ऑफ इंडिया की लापरवाही उरूज पर!

आवेदन में महज़ 10 दिन शेष, हिंदी-उर्दू में अभी तक गाइडलाइंस को अपलोड नही किया

लखनऊ (सिराज टाइम्स न्यूज़) 'काठ में पांव देना' यह मुहावरा तो आपने खूब सुना होगा। हज कमेटी ऑफ इंडिया के लिए यह जुमला खूब सिद्ध हो रहा है। हज 2023 के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रारंभ है। 
10 फरवरी से शुरू हुए आवेदन की अंतिम तिथि आगामी 10 मार्च है। परंतु अभी तक हज कमेटी ऑफ इंडिया अपनी वेबसाइट पर गाइडलाइंस को मात्र अंग्रेजी में ही अपलोड कर सकी है जबकि राष्ट्रीय भाषा हिंदी और उत्तर प्रदेश की दूसरी आधिकारिक भाषा उर्दू में पीडीएफ को अभी तक नहीं डाला है। 



ऑनलाइन आवेदन में महज़ 10 दिन ही बचे है। कमेटी जिम्मेदारों की यह लापरवाही मुसलमानों पर काफी भारी पड़ रही है। उक्त बाबत जब 'सिराज टाइम्स' हिंदी दैनिक समाचार पत्र के उप संपादक वहाजुद्दीन ग़ौरी ने पूछा तो जवाब मिला कि उर्दू और हिंदी की भाषा की पीडीएफ पर अभी काम चल रहा है। 
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश से जाने वाले जायरीन उर्दू व हिंदी ही जानते हैं। हज कमेटी ऑफ इंडिया की लापरवाहियों के चलते हज यात्रियों में मायूसी है और आवेदकों को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है । इसी तरह कमेटी ने हर आयु के अकीदतमंदों को आवेदन में छूट दी थी परंतु गत दिनों सऊदी हुकूमत द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को हज जाने पर पाबंदी लगा दी। 
यह गाइडलाइन ऐसे समय आयी, जब सैकड़ों परिवार अपने छोटे बच्चों के साथ फॉर्म ऑनलाइन करवा चुके थे। यहां तक की हज कमेटी ऑफ इंडिया का वेब पोर्टल का सरवर भी कई दिनों तक बंद रहा। हज खर्च का पूर्ण ब्योरा भी कमेटी ने देना मुनासिब नहीं समझा। 
 असहायों की सेवा में समर्पित सामाजिक संस्था जिगर वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के सचिव हाजी सिराज अहमद ने समाचार के माध्यम से उर्दू तथा हिंदी में गाइडलाइंस की पीडीएफ जारी करने तथा हज यात्रियों की अन्य समस्याओं को दूर करने की विशेष मांग की है।

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