प्रथम चरण में नगर निकाय चुनाव 2023 का मतदान आज
क्या आज मिल जाएगी बिसवां वासियों को समस्याओं से छुटकारा?
बता दें कि सन् 1949 में बिसवां नगर पालिका भवन की नींव रखी गई। 8 मार्च 1950 को टाउन एरिया तथा 1951 में नगर पालिका का दर्जा तत्कालीन विकास मंत्री पदमा सेठ ने दिलाया। 1996 में बी ग्रेड का भी दर्जा मिल गया। पहले चेयरमैन मूलचंद्र मेहरोत्रा बने।
भाजपा की चेयरमैन होने के नाते मुस्लिमों के मोहल्लों में मुड़कर तक नहीं देखा। इस तरह कस्बे का विकास होने के बजाय यहां की नगर पालिका भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी। आए दिन अखबारों में भी बिसवां पालिका द्वारा किए गए अनगिनत भ्रष्टाचार की पोल भी प्रकाशित होती रहती है, परंतु इन पर कार्रवाई के बजाय जिम्मेदार आगे बढ़ाते रहते हैं।
इस पर भी सोशल मीडिया पर लिखा गया कि "छोटे-छोटे चुनाव के लिए आज बड़े बड़े मंत्री मैदान में, स्थिति साफ है" , " भाजपा प्रत्याशी आम जनमानस के मतों वाला चुनाव हार चुकी है", ।
आसान नहीं सीमा जैन का यह चुनाव, कल थे जो साथ आज हैं विरोध में!
समस्याएं जस की तस जनता रही तरस!
पिछले चुनाव में किए गए वायदों के बारे में पूछ रही जनता
बिसवां, सीतापुर (सिराज टाइम्स न्यूज़) आज नगर निकाय चुनाव के प्रथम चरण का मतदान संपन्न होगा। बिसवां में 16 उम्मीदवार दलीय व निर्दलीय अध्यक्ष पद के लिए ताल ठोक रहे है। जिसमें 10 मुस्लिम तथा 6 हिंदू प्रत्याशी मैदान में है। कस्बे का कुल मतदाता 50,617 है, जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। अंसारी, राईन, मंसूरी तथा हिंदू समाज में ब्राह्मण अधिक हैं।
आज मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेगा। नगर निकाय चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने कस्बे में 19 मतदान केंद्र तथा 55 मतदान स्थल बनाया है।13 मई को वोटों की गिनती होगी इस तरह इसी दिन बिसवां नगर पालिका को 16वां अध्यक्ष मिल जायेगा।
बता दें कि सन् 1949 में बिसवां नगर पालिका भवन की नींव रखी गई। 8 मार्च 1950 को टाउन एरिया तथा 1951 में नगर पालिका का दर्जा तत्कालीन विकास मंत्री पदमा सेठ ने दिलाया। 1996 में बी ग्रेड का भी दर्जा मिल गया। पहले चेयरमैन मूलचंद्र मेहरोत्रा बने।
यदि बात पूर्व चुनाव के संबंध में की जाए तो 2017 में 45, 865 वोटर्स में 26,385 मतदाताओं ने अपने-अपने मत डाले। यह प्रतिशत तकरीबन 57.53% बनता है। उस वक्त उपविजेता रहे शब्बीर खां को 6,921 मत तो जीत हासिल करने वाली सीमा जैन को 7,890 कुल मत प्राप्त हुए थे।
यदि चुनाव की बात की जाए तो इस बार यहां की स्थितियां स्पष्ट नहीं है। लेकिन यहां की आम जनता गंभीर समस्याओं से घिरी है, जलभराव, गंदगी, जर्जर बिजली तारों का मकड़जाल, टूटी फूटी सड़कें, आवारा पशु, जाति बिरादरी का बोलबाला, जाम सहित अन्य गंभीर समस्याओं से यहां की जनता को छुटकारा नहीं मिला है।
मतदाताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मौजूदा चेयरमैन सीमा जैन भाजपा के टिकट पर तीन बार चुनाव तो जीत जाती परंतु वह यहां की समस्याओं की ओर रुख नहीं करती, कोरोना काल में घर से बाहर ही नहीं निकली, यहां तक की अपने वोटर्स का भी किसी तरीके से ख्याल नहीं रखा।
यहां की जनता ने बताया कि कल जो वोटर्स सीमा जैन के साथ थे , कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें चुनाव जिताने का काम करते थे। आज वही इनके विरोध में काम कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने चेयरमैन के पति राजू जैन का फोटो डालते हुए लिखा कि "अब प्रकृति भी साथ नहीं दे रही है, क्या से क्या हो गया देखते देखते", " दुकानें बंद करवा कर अहंकारी अध्यक्ष ने अपने ताबूत में कील ठोकने का काम किया है" , " टाइटेनिक डूबने की कगार पर है"।
गत दिनों भाजपा प्रत्याशी सीमा जैन के समर्थन में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक नगर में तशरीफ लाए हाल यह था कि पंडाल भी ठीक से नहीं भर सका, इस सभा में उनके अपने ही सपोर्टर्स गायब दिखे।
" बिसवां वासी सिंबल को दरकिनार करके निर्दलीयों की ओर रुख है "। " परिवर्तन तय है।
"बिसवां में दारू कांड के बाद अब नकद वितरण खेल शुरू"।
कुछ ब्राह्मणों ने सोशल मीडिया पर सीमा जैन व राजू जैन को ब्राह्मण विरोधी बताकर जबरदस्त कटाक्ष किया।
" भाजपा प्रत्याशी का मुंह देखते ही घर से बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं वोटर्स".
यहां तक कि लोगों ने लिखा कि उसे मालूम कौन सा बिस्कुट किसे देना है। पर यह काम आने वाला नहीं।